December 6, 2025

ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती की उपस्थिति में भव्य गंगा सस्टेनेबिलिटी रन का आयोजन…

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ऋषिकेश: विश्व विज्ञान दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश और विवेकानन्द यूथ कनेक्ट फाउंडेशन की संयुक्त तत्वाधान में गंगा सस्टेनेबिलिटी रन का विशाल आयोजन किया गया।

इस दौरान परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित न रहे, बल्कि मानवता के कल्याण, वैश्विक शांति, सतत विकास और जनजागरूकता का माध्यम बने। विज्ञान का असली रूप वही है, जो समाज को सुरक्षित, समृद्ध और सद्भावनापूर्ण दिशा में आगे बढ़ाए।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश और विवेकानन्द यूथ कनेक्ट फाउंडेशन की संयुक्त तत्वाधान में आयोजित गंगा सस्टेनेबिलिटी रन एक ऐसी पहल है, जिसका उद्देश्य जनसमुदाय को मां गंगा के समृद्ध और विविध पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जागरूक करना और आने वाली पीढ़ियों के लिए उनकी स्थिरता के महत्व को समझाना है। यह रन प्रतिभागियों को जीवन, ऊर्जा, शांति और आध्यात्मिक उन्नति को अनुभव करने का अवसर देती जो गंगाजी हमें देती हैं। यह दौड़ गंगा जी के तटों के किनारे 10 किलोमीटर, 21.1 किलोमीटर, 35 किलोमीटर या 50 किलोमीटर की दूरी की होती हैं। हर दूरी प्रतिभागियों को एक अनूठा और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है। चौथी बार गंगा सस्टेनेबिलिटी रन का आयोजन किया गया इसमें शामिल प्रतिभागियों ने प्रकृति, संस्कृति और अध्यात्म का एक साथ अनुभव किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का दृष्टिकोण विज्ञान के प्रति केवल शोध और तकनीक तक नहीं, बल्कि ‘विज्ञान , विवेक, मूल्य’ के समन्वय पर आधारित है। सनातन ज्ञान परंपरा सदैव संदेश देती है कि विज्ञान वह, जो जीवन को उन्नत बनाए, तकनीक वह, जो मानव को मानव के और निकट लाए।
आज, जब दुनिया अनेक चुनौतियों से जूझ रही है, पर्यावरणीय संकट, जलवायु परिवर्तन, मानसिक तनाव, युद्ध और संघर्षों का निरंतर बढ़ता स्वरूप, ऐसे समय में विज्ञान का मार्ग केवल प्रगति का ही नहीं, बल्कि शांति का मार्ग भी होना चाहिए। विज्ञान का उद्देश्य जीवन बचाना है, उसे प्रतिस्पर्धा, विनाश या विभाजन की ओर ले जाना नहीं है।
भारतीय ऋषियों ने मूलतः विज्ञान को अध्यात्म के भीतर खोजा। पंचतत्वों की समझ, औषध विज्ञान का आयुर्वेदिक रूप, अंतरिक्ष और ग्रह-नक्षत्रों की सूक्ष्म गणना, जल प्रबंधन की दिव्य व्यवस्था, योग और ध्यान के वैज्ञानिक प्रभाव, ये सब इस बात का प्रमाण हैं कि भारत सदैव से विज्ञान को आध्यात्मिक नैतिकता के साथ जोड़कर देखता आया है।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि विज्ञान तभी सार्थक है जब वह प्रकृति के संरक्षण का मार्ग दिखाए, मानव मात्र में करुणा को बढ़ाए, राष्ट्रों में सहयोग और शांति स्थापित करे, युवा शक्ति को सृजनशील दिशा दे। भारत की युवा पीढ़ी में ज्ञान, नवाचार और आध्यात्मिक नैतिकता का अद्भुत संगम है। जरूरत केवल उन्हें प्रेरणा, अवसर और दिशा देने की है। स्टार्ट-अप, स्पेस टेक, एग्री-टेक, आयुर्वेद, योग-विज्ञान, वॉटर मैनजमेंट, क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भारत विश्व नेतृत्व की क्षमता रखता है।

“वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना भारत का मूल वैज्ञानिक दर्शन है, जहाँ संपूर्ण विश्व एक परिवार है, और विज्ञान उसका कल्याणकारी साधन। पृथ्वी ही नहीं, प्रत्येक जीव-सृष्टि का कल्याण, यही सनातन विज्ञान है इसलिए भारतीय विज्ञान ‘केवल विकास’ नहीं, बल्कि सतत विकास की बात करता है। आज की इस वैश्विक वैज्ञानिक यात्रा में भारत संपूर्ण मानवता को यह संदेश देता है, विज्ञान में धर्म का आधार हो, और धर्म में विज्ञान की स्वीकृति, तभी विश्व शांति संभव है।

विश्व विज्ञान दिवस पर हमारा संकल्प हो कि विज्ञान को मानव मूल्यों से जोड़ा जाए, तकनीक को प्रकृति-मित्र बनाया जाए, ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान और विभाजन का अंधकार मिटाया जाए। स्वामी जी ने कहा कि जब विज्ञान का उद्देश्य शांति और विकास दोनों होगा, तभी आने वाला कल सुरक्षित, स्वस्थ, समृद्ध और प्रकाशमय होगा।
आइए, विश्व विज्ञान दिवस पर हम सभी संकल्प लें कि विज्ञान, मानवता को जोड़े, प्रकृति को बचाए, और विश्व में शांति की ज्योति जलाए।

इस दौरान परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विवेकानन्द यूथ कनेक्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डा राजेश सर्वज्ञ का मां गंगा के तट पर अभिनन्दन कर सभी विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये।

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