हरिद्वार निकाय चुनाव का हाल, मुद्दे अनेक, विपक्ष में दरार, क्या मेयर बना पाएगी भाजपा? पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार रमेश खन्ना का लेख…
हरिद्वार में स्थानीय निकायों के चुनावों की सरगर्मी अभी भी वार्डों के चुनावी कार्यालयों के उद्घाटनों तक ही सीमित हैं। कुछ राजनैतिक दल अभी तक अंदरुनी कलह से नहीं उबर पा रहे हैं, वहीं कुछ दागी चेहरे जिनका पुराना रिकार्ड उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है वह स्वंय खुलकर सामने ना आकर अपने परिवार से उम्मीदवार चेहरों के लिए पर्दे के पीछे से रणनीति बनाने में लगे हैं । परन्तु विपक्षी दल उन दागी चेहरों की हकीकत को उजागर कर उसमें भी मुददे तलाशने की जुगत में जुटे है। बहराल आने वाले एक दो दिनों मे आरोप प्रत्यारोप की राजनीति शुरू होने वाली हैं।
शहर का व्यापारी वर्ग अन्दर से कई मुद्दों पर आक्रोशित है, परन्तु फिलहाल एक सोची समझी रणनीति के तहत खामोश हैं। जहाँ भाजपा मे दो, तीन गुट है वही कमोबेश यही स्थिती कांग्रेस के साथ भी है परन्तु कांग्रेस के आस्तित्व को बचाने के लिए सभी दिग्गज काँग्रेसी मतभेदों को समाप्त कर एक मंच पर आ रहे हैं, इस स्थिती से जहाँ काँग्रेस में कार्यकर्ताओं में इतिफाक बन रहा है वहीं भाजपा सहित अन्य दल इसको लेकर चिन्तित हैं । कॉग्रेस मेयर प्रत्याशी श्रीमाती अमरेश देवी बालियान कुल 60 वार्डों के पार्षद उम्मीदवारों से तालमेल नही कर पा रही है। इसके कई कारण है जिनमे मुख्य है आपसी संवादहीनता कई वार्डों में मतदाताओं ने किसी भी दल की मेयर प्रत्याशी की शक्ल तक नहीं देखी हैं । खेर यह तो अब आने वाले दो चार दिनों में तय होगा कि ऊँट किस करवट बैठने की ओर हैं।
वहीं आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष संजय सैनी लम्बे अर्से से पार्टी के लिए जमीन तलाशने मे जुटे हैं । उन्होंने इस काम मे काफी मेहनत की है परन्तु अभी हार जीत की लडाई से दूर है। यू० के० डी० का कहीं भी दूर दूर तक कुछ पता नहीं है इसलिये उस पर चर्चा व्यर्थ है। कुल मिलाकर हार जीत का मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही तय समझा जा रहा हैं।
डॉ० रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
हरिद्वार (उत्तराखंड)
