उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीद से कम दावेदार, क्या छोटी सियासत से नेताओं का हुआ मोह भंग…
राज्य में 12 जनपदों में हो रहे पंचायत चुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है …. लेकिन इस बार पंचायत चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नामांकन नहीं हो पाए हैं … जो प्रमाण है कि अभी भी जनता पंचायत चुनाव को लेकर उदासीन दिख रही है। पंचायत चुनाव में सदस्य ग्राम पंचायत के लिए 55 हजार से ज्यादा आदि पर 28 हजार के करीब नामांकन हुए है।
उत्तराखंड में हरिद्वार जनपद को छोड़कर अन्य सभी 12 जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सियासी जंग देखने को मिल रही है… इस सियासी जंग सभी उम्मीदवारों ने नामांकन कर लिया है जिसमें आज से स्क्रुटनी शुरू हो चुकी है। पंचायत चुनाव में इस बार चिंता इस बात की है कि सदस्य ग्राम पंचायत के लिए 55587 पदों के सापेक्ष 28248 लोगों ने नामांकन किया है …. जिससे साफ है कि जनता की उदासीनता कम नहीं हुई है … बल्कि आज भी जनता अपनी छोटी छोटी समस्याओं का निदान न होने से परेशान है … ओर पंचायत चुनाव में उदासीन बनी हुई है। आपको बता ग्राम प्रधान के पदों पर दुगुने लोगों ने नामांकन किया है … बीडीसी ओर सदस्य जिला पंचायत के पदों पर भी नामांकन करने के लिए उत्साह दिखा है । लेकिन ग्राम पंचायत के लिए जरूरी ओर संवैधानिक पद सदस्य ग्राम पंचायत पर जनता अब भी उदासीन बनी हुई है।
नामांकन के आखिरी दिन 31622 उम्मीदवारों में नामांकन पत्र किया दाखिल,
जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 358 पद के सापेक्ष 1907 नामांकन हुए,
क्षेत्र पंचायत सदस्य के 2974 पद के लिए 11629 नामांकन पत्र हुए दाखिल,
ग्राम प्रधान के लिए 7499 पदों के सापेक्ष 22028 लोगों ने किया नामांकन,
सदस्य ग्राम पंचायत के 55587 पदों के सापेक्ष 28248 लोगों ने किया नामांकन,
अब 7 जुलाई से 9 जुलाई तक नामांकन पत्रों की होगी जांच,
उम्मीदवार नाम वापसी 10 और 11 जुलाई को कर सकते है
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि जनता की उदासीनता के लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार है सरकार को चाहिए कि वह जनता की समस्याओं को लेकर काम करें… लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है इसीलिए छोटे लेकिन संवैधानिक पद पर भी नामांकन पूरे नहीं हुए है।
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि कांग्रेस का काम सिर्फ आरोप लगाना रह गया है… जबकि पंचायत में ऐसा अक्सर होता आया है… जिसने चुनाव के बाद भी ग्राम पंचायते अपने स्तर पर इन संवैधानिक पदों को भरने का काम करती है।
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर जितना उत्साह सियासी दलों में दिख रहा है … उससे बहुत कम उत्साह जनता इस चुनाव में दिखा रही है। ऐसे में पंचायत राज विभाग हो या राज्य निर्वाचन आयोग …सभी को चिंतन करने की आवश्यकता है कि आखिर जनता को जैसे इन चुनावों से जनता की जोड़ा जा सकता।
