हरिद्वार कॉरिडोर परियोजना पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रमेश खन्ना का लेख…
हरिद्वार के व्यापारियों का कॉरिडोर के आंदोलन की धार को कुंद करने की सरकार की कोशिशें सर चढ़ने लगी है गत दिनों से भाजपा के एक पूर्व विधायक कुछ व्यापारियों को लेकर राजधानी देहरादून मुख्यमंत्री के पास ले जाने में अपनी शतरंजी चालों में फिलहाल कामयाब हो गये। देहरादून में मुख्यमंत्री श्री धामी द्वारा दिए गए गोलमोल आश्वासन ने व्यापारियों के चरम पर पहुंचे आंदोलन की धार कुंद कर दी है। लगता है कि अब सरकार इस आंदोलन को राजनीतिक अखाड़े में भी घसीटने की नीति पर आ गई है। व्यापारियों को अपनी एकजुटता बरकरार रखने का जो प्रयास है उसमें चंद नेता सक्रिय होकर व्यापारियों को उनके लक्ष्य से अलग करने में जुट गये हैं पिछले दिनों व्यापारियों की एक धर्मशाला में हुई सभा में नेताओं के रूख से यह जाहिर हो गया था। एक पूर्व विधायक सरकार के अघोषित नुमाईंदे के रूप में वहां उपस्थित हुए थे और अपनी शतरंज की एक गोट उन्होंने उसी सभा में चला दी थी, और अगले दिन दो-तीन लोगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी पीठ भी थपथपवा ली । यदि कॉरिडोर के मुद्दे पर व्यापारी भटक गए तो उनके अब तक के प्रयासों को तगड़ा झटका लग सकता हैं।
अपनी पौराणिक, धार्मिक महान धरोहर को अक्षुण रखने के लिए धर्म की दुहाई देने वालों की चुप्पी भी कई अहम सवाल खड़े कर रही है, भौतिकवादी कथित विकास के नाम पर इस विश्वविख्यात तीर्थ की पौराणिकता की धार्मिक धरोहर से छेड़छाड़ पर शायद प्रकृति भी चुप ना रहे , 2013 में श्री केदारनाथ की आपदा किसी से छिपी नहीं है।
अभी हाल का केदारनाथ की दैवीय प्रकोप आपदा के संकेत समझने चाहिए। हमारी सनातनी संस्कृति के ध्वजवाहक स्वनाम धन्य संत श्री महंत, महात्मा, विभिन्न धार्मिक संगठनों, सामाजिक संस्थाओं को हरिद्वार के अतीत की वैभवशाली एवं गौरवमयी पौराणिक धार्मिक धरोहर को अक्षुण बनाए रखने के लिए आगे आना होगा।
16 जुलाई 1996 में सोमवती अमावस्या पर गऊघाट पुल पर भीड़ में लगभग 21 श्रद्धालुओं की कुचलकर मरने से हुई दर्दनाक मृत्यु के पश्चात तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित जस्टिस राधाकृष्णन अग्रवाल आयोग ने रोड़ी बेल वाला क्षेत्र की कुंभ मेला आरक्षित भूमि को खुला रखने की संस्तुति की थी ,अब उस मेला लैंड का लैंड यूज बदलकर वहां पार्किंग बनाई जा रही है जिस पर फिलहाल माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान रोक लगा दी है ।
इस राज्य के हुक्मरान क्या सोचकर ऐसे निर्णय ले रहे हैं। आगामी अर्ध कुम्भ व कुम्भ मेलों पर क्या होगा यह गंभीर विचारणीय मुद्दा है अभी भी रोडी बेलवाला में कई अवांछनीय तत्वों का जमावड़ा है।
हिमालय व हरिद्वार के प्राकृतिक सौंदर्य की रक्षा शपथ लेने भर से ही नहीं होगी यदि उत्तराखंड के असली अस्तित्व को बचाना है तो पहाड़ों का अंधाधुंध कटान ब्लास्टिंग एवं पहाड़ों पर पेड़ों के कटान और कंक्रीट के जंगलों को खड़ा करने से रोकना होगा कारीडोर के नाम पर हरिद्वार की पौराणिकता को तथा रोड़ी बेलवाला कुंभ मेला लैंड को बचाना होगा।
डॉ. रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार ,हरिद्वार (उत्तराखंड)