सत्य के पुजारी मधुकांत प्रेमी ने इमरजेंसी में सत्ता को ललकारा,हुई जेल, सरकार को लगते थे बड़ी चुनौती…
करीब पचास साल पहले आपातकाल के नाम पर जब लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा था तब कलम के सिपाही ने तानाशाहों से लोहा लिया और बदलें में उनको मिली जेल, देवभूमि हरिद्वार की उस जांबाज कलमकार का नाम था मधुकांत प्रेमी…
ख़ुद सलाखों के पीछे काली रातें तो घर पर गर्भवती पत्नी, सच के योद्धा ने दृढ़ संकल्प के साथ सत्ता को ललकारा और आपातकाल के दौरान उन्हें कचहरी परिसर से ही गिरफ्तार कर लिया गया। डेढ़ महीने तक रुड़की जेल में बंद रहे। इस दौरान न कोई मुकदमा चला, न कोई सुनवाई। सिर्फ यह आरोप था वे बोलते थे, लिखते थे और लोगों को सच्चाई बताते थे। उन दिनों उनकी पत्नी विद्यावती गर्भवती थीं। फिर भी हर हफ्ते, पेट में बच्चे की हर हलचल के साथ, वे रुड़की जेल के फाटक पर खड़ी होतीं। जेल के गार्ड पहचानने लगे थे। जेल में मिलने की अनुमति बहुत सीमित थी, लेकिन वो जानती थीं ये लड़ाई सिर्फ उनके पति की नहीं, आने वाले उस बच्चे की भी है, जिसे उन्होंने जन्म देना था। उनकी सास और ससुर की तबीयत खराब थी। सास ससुर का इलाज को विद्यावती ही ले जाया करती थी।

