सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, आईएफएस राहुल की नियुक्ति का मामला गर्माया, पढ़िए पूरा मामला…
“हम किसी सामंतकाल में नहीं हैं, जैसा राजा बोले वैसा चले (यानी चीजें केवल राजा की इच्छाओं के अनुसार ही हों)। जब सभी अधीनस्थ अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया, तो उन्होंने बस अनदेखा कर दिया “
यह टिप्पणी है सुप्रीम कोर्ट की और जिसके केंद्र में सीधे उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी है।
ये मामला है जिम कोर्बेट के पूर्व निदेशक आईएफएस अफसर राहुल को, राजा जी नेशनल पार्क का निदेशक बनाए जाने का लेकर बना। 9 अगस्त को प्रदेश सरकार ने आईएफ
एस अफसर राहुल को राजाजी नेशनल पार्क का निदेशक बनाने का आदेश जारी किया जिसके बाद नया विवाद जन्म लेता है
इस पूरे विवाद को समझने के लिए साल 2022 के घटनाक्रम को समझना होगा, जहाँ कोर्बेट नेशनल पार्क की पाखरो रेंज में टाईगर सफारी योजना में घोटाले का मामला सामने आया था, जब उत्तराखंड की विजिलेंस ने हल्द्वानी सेक्टर में एक मुकदमा दर्ज किया। इस घोटाले में तत्कालीन कुछ अधिकारियों और तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को आरोपित किया गया, जिसमें कोर्बेट नेशनल पार्क के तत्कालीन निदेशक राहुल भी शामिल थे। उन पर कई गंभीर आरोप लगे। इस मामले की जांच कर रही कमेटी ने पाखरो रेंज में किए गए निर्णाण कार्यों में कई तरह की खामियाँ पाई । इसके साथ ही उन्हे वन अधिनियम 1980 के उल्लंघन का भी दोषी पाया गया । जिसके बाद उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हे निदेशक पद से हटा दिया गया । वहीं कोर्ट ने दोषी अधिकारियों पर जल्द से जल्द एक्शन लेने को कहा ।
लेकिन राज्य सरकार ने 9 अगस्त को दागी अफसर राहुल को राजाजी नेशनल पार्क का निदेशक बना दिया । लेकिन विभाग के सचिव इस बाबत सरकार को चेताते रहे कि आईएफएस अफसर राहुल के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है और उन्हे ये तैनाती नहीं दी जाकती है । लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने अफसरों की सलाह को दरकिनार करते हुए राहुल को निदेशक पद सौंप दिया । विभाग के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु 19 जुलाई के अपने एक नोट के जरिए मुख्यमंत्री और वन मंत्री सुबोध उनियाल को चेताते रहे कि ये न्यायसंगत नहीं है । वो नोट में लिखते हैं कि कोर्बेट के पाखरो रेंज में टाईगर सफारी की स्थापना के लिए अवैध तरह से पेडों को काटा गया है और अवैध निर्माण किया गया है । और इस मामले में तत्कालीन निदेशक राहुल पर सीबीआई जांच चल रही है ऐसे में राजाजी नेशनल पार्क के निदेशक पद पर इनकी तैनाती पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए ।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने से ठीक एक दिन पहले 9 अगस्त को दिए अपने आदेश को खुद मुख्यमंत्री ने निरस्त करवा दिया।
दरअसल किसी भी आईएफएस का तबादला करने की एक प्रक्रिया है । जिसमें मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाला सिविल सर्विसेस बोर्ड बैठता है और वो प्रदेश के आईएफएस अधिकारियों के तबादले और तैनाती पर निर्णय लेता है । 3 जुलाई 2024 को ये बैठक बुलाई गई जिसमें आईएफएस अफसरों की तबादला लिस्ट पर मुहर लगी। जिसमें दागी अफसर राहुल का नाम नहीं था लेकिन 18 जुलाई को एक नोट शीट में वन मंत्री सुबोध उनियाल लिखते हैं कि चूंकि साकेत बडोला को कोर्बेट टाईगर रिर्जव के निदेशक का पदभार दिया गया है ,इसलिए राहुल को राजाजी नेशनल पार्क के निदेशक के पद पर तैनाती दी जाए । उनका ये नोट पूरी तरह से नियम विरुद्ध दिखाई देता है । क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के कई आदेशों में आईएफएस अफसरों के तबादला प्रक्रिया को स्पष्ट किया हुआ है।
वन मंत्री के इस नोट के एक दिन बाद विभाग के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु नोट लिख कर बताते है ऐसा करना ठीक नहीं है । इस पर पुर्नविचार किया जाए लेकिन वन मंत्री फाईल सीधे मुख्य़मंत्री के पास ले जाते हैं । और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस पर सारी आपत्तियों के बावजूद आदेश जारी कर देते हैं।
इस तरह सीबीआई की जाँच के दायरे में चल रहे आईएफएस
राहुल की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी की ….