सीमांत जिलों के गांवों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन कर पर्यटन सचिव धीराज गबर्याल ने दिया महत्वपूर्ण संदेश, पढ़िए पूरी खबर…

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सीमांत राज्य के कोने- कोने में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विशेष आयोजन गांव के घर- घर मे योग विज्ञान देता चला गया, सीमांत ग्रामीण परिवेश में निरोगी जीवन के प्रति जागरूकता और उत्तराखंड सरकार के साथ स्थानीय लोगों के आत्मीय जुड़ाव की सफलता के सूत्रधार स्वयं नवनियुक्त पर्यटन सचिव एवं पर्यटन विकास परिषद के सीईओ धीराज सिंह गबर्याल बने…
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद द्वारा आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में राज्य के विभिन्न जनपदों यथा उत्तरकाशी, चमोली एवं पिथौरागढ़ के भारत-चीन सीमा से सटे सीमावर्ती गांवों यथा माणा, मलारी, जादूंग, निलांग, हर्षिल, दुगतु, नाबीढांग आदि में विशेष योग दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार की वाइब्रेंट विलेजेज योजना के अंतर्गत ग्रामीण पर्यटन, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों, युवाओं, स्कूली बच्चों एवं भारतीय सेना के जवानों ने भाग लिया। योग प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों को विभिन्न योगासन, प्राणायाम और ध्यान की विधियां सिखाई गई। कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में योग और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को प्रचारित करना रहा।
इस पहल का उद्देश्य केवल योग के महत्व को उजागर करना नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम के दृष्टिकोण के अनुरूप सीमावर्ती गांवों को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी रहा।
इस अवसर पर सचिव पर्यटन / मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद धीराज सिंह गबर्याल ने
कहा कि उत्तराखंड का शांत और प्राकृतिक वातावरण योग साधना के लिए उपयुक्त है। हमारा प्रयास है कि इन वाइब्रेंट विलेजेस को योग पर्यटन और स्थानीय विकास के केंद्रों के रूप में स्थापित किया जाए, जिससे यहाँ पर्यटकों की आवाजाही बढ़ सके और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो सकें।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पर्यटन विभाग भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
