December 6, 2025

आध्यात्मिक, सामाजिक सेवा के चेतना केंद्र परमार्थ निकेतन में हुआ वंदेमातरम का सामूहिक गान, स्वामी चिदानंद बोले वंदेमातरम आज़ादी की धड़कन…

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ऋषिकेश: राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर पर पूरे देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किये गए आह्वान का सम्मान करते हुए आज ऋषिकेश स्थित सामाजिक सेवा, आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रख्यात परमार्थ निकेतन में वंदे मातरम् के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गान स्वामी चिदानंद सरस्वती की उपस्थिति में हुआ।

यह राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम हम सब एक स्वर, एक संकल्प और एक भावना में समाहित होकर भारत माता के प्रति अपनी अखंड निष्ठा एवं समर्पण का संदेश देने हेतु आयोजित किया गया।

इस मौके पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वंदे मातरम् भारत की आत्मा, अस्मिता और आजादी की हृदय-धड़कन है। यह अदम्य राष्ट्र-चेतना का अभिनंदन हैं जिसने हम सबको एक सूत्र में पिरोया। वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, यह भारत की आत्मा की गूंज है। यह हमारी समृद्ध संस्कृति, मातृभूमि के प्रति प्रेम, और राष्ट्र की एकता-अखंडता का शाश्वत प्रतीक है। यह गीत केवल एक पंक्ति नहीं था, यह शौर्य का शंखनाद, मातृभूमि के प्रति समर्पण का व्रत और स्वतंत्र भारत के सपनों का उद्घोष था। आज 150 वर्षों बाद भी “वंदे मातरम्” का भाव जीवंत है। यह हमें याद कराता है कि हमारी धरती केवल भूमि नहीं, यह हमारी माता है, जिसने हमें पोषित किया, संस्कारित किया और शक्ति दी, इस अमर मंत्र को केवल आवाज में नहीं, व्यवहार और सेवा में उतारें। राष्ट्रहित, पर्यावरण-सुरक्षा, संस्कृति-संरक्षण और एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दिशा में मिलकर आगे बढ़ें।

1870 के दशक में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा रचित वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्ति की ऐसी ज्योति जगाई, जिसने असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों को मातृवंदन के लिए प्राण न्यौछावर करने की प्रेरणा दी। “वंदे मातरम्” के जयघोष ने प्रत्येक भारतीय के हृदय में साहस और स्वाभिमान की लहर जगाई।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि अमूल्य बलिदानों से सींची इस परंपरा का 150वाँ वर्ष अपने आप में इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है जो एकता का संदेश, एक भारत, श्रेष्ठ भारत का संदेश पूरे विश्व को दे रहा है।
आज सामूहिक गान के माध्यम से हम यह संकल्प दोहराये कि भारत की एकता-अखंडता सर्वोपरि है। हर राज्य, हर भाषा, हर वर्ग और हर आयु के लोग एक ही स्वर में भारत माता के गौरवगान एकता का संदेश दे। जब बात मातृभूमि की हो तो ऐसे में हम सब एक हैं, एक रहेंगे, और एक स्वर में अपनी संस्कृति का परचम बुलंद करते रहेंगे।
आज का ऐतिहासिक दिन अमिट स्मृतियाँ, राष्ट्रगौरव और अखंड देशभक्ति की धारा छोड़ गया, जो आगामी वर्षों तक हमें प्रेरणा देता रहेगा।

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